हिन्दी भाषा:-Hindi language

 🎤 हिन्दी भाषा:-

हिंदी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय- आर्य भाषा है। सन् 2001 की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं। सन् 1998 के पूर्व, मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आँकड़े मिलते थे, उनमें हिन्दी को तीसरा स्थान दिया जाता था। सन् 1997 में भारत की जनगणना का भारतीय भाषाओं के विश्लेषण का ग्रन्थ प्रकाशित होने तथा संसार की भाषाओं की रिपोर्ट तैयार करने के लिए यूनेस्को  द्वारा सन् 1998 में भेजी गई यूनेस्को प्रश्नावली के आधार पर उन्हें भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के तत्कालीन निदेशक प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन द्वारा भेजी गई विस्तृत रिपोर्ट के बाद अब विश्व स्तर पर यह स्वीकृत है कि मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से संसार की भाषाओं में चीनी भाषा के बाद हिन्दी का दूसरा स्थान है। चीनी भाषा के बोलने वालों की संख्या हिन्दी भाषा से अधिक है किन्तु चीनी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिन्दी की अपेक्षा सीमित है। अँगरेज़ी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिन्दी की अपेक्षा अधिक है किन्तु मातृभाषियों की संख्या अँगरेज़ी भाषियों से अधिक है। इसकी कुछ बोलियाँ, मैथिली  और राजस्थानी अलग भाषा होने का दावा करती हैं। हिंदी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी भाषा शामिल हैं!


🎙 आधुनिक हिंदी

हिंदी के आधुनिक काल तक आते–आते ब्रजभाषा जनभाषा से काफ़ी दूर हट चुकी थी और अवधी ने तो बहुत पहले से ही साहित्य से मुँह मोड़ लिया था। 19वीं सदी के मध्य तक अंग्रेज़ी सत्ता का महत्तम विस्तार भारत में हो चुका था। इस राजनीतिक परिवर्तन का प्रभाव मध्य देश की भाषा हिंदी पर भी पड़ा। नवीन राजनीतिक परिस्थितियों ने खड़ी बोली को प्रोत्साहन प्रदान किया। जब ब्रजभाषा और अवधी का साहित्यिक रूप जनभाषा से दूर हो गया तब उनका स्थान खड़ी बोली धीरे–धीरे लेने लगी। अंग्रेज़ी सरकार ने भी इसका प्रयोग आरम्भ कर दिया।

हिंदी के आधुनिक काल में प्रारम्भ में एक ओर उर्दू का प्रचार होने और दूसरी ओर काव्य की भाषा ब्रजभाषा होने के कारण खड़ी बोली को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ा। 19वीं सदी तक कविता की भाषा ब्रजभाषा और गद्य की भाषा खड़ी बोली रही। 20वीं सदी के आते–आते खड़ी बोली गद्य–पद्य दोनों की ही साहित्यिक भाषा बन गई।

इस युग में खड़ी बोली को प्रतिष्ठित करने में विभिन्न धार्मिक सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलनों ने बड़ी सहायता की। फलतः खड़ी बोली साहित्य की सर्वप्रमुख भाषा बन गयी।

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🎤 हिन्दी भाषा:- हिंदी भारतीय गणराज की राजकीय और मध्य भारतीय- आर्य भाषा है। सन् 2001 की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं, जबकि लगभग 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक इस्तेमाल करते हैं। सन् 1998 के पूर्व, मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के जो आँकड़े मिलते थे, उनमें हिन्दी को तीसरा स्थान दिया जाता था। सन् 1997 में भारत की जनगणना का भारतीय भाषाओं के विश्लेषण का ग्रन्थ प्रकाशित होने तथा संसार की भाषाओं की रिपोर्ट तैयार करने के लिए यूनेस्को  द्वारा सन् 1998 में भेजी गई यूनेस्को प्रश्नावली के आधार पर उन्हें भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के तत्कालीन निदेशक प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन द्वारा भेजी गई विस्तृत रिपोर्ट के बाद अब विश्व स्तर पर यह स्वीकृत है कि मातृभाषियों की संख्या की दृष्टि से संसार की भाषाओं में चीनी भाषा के बाद हिन्दी का दूसरा स्थान है। चीनी भाषा के बोलने वालों की संख्या हिन्दी भाषा से अधिक है किन्तु चीनी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिन्दी की अपेक्षा सीमित है। अँगरेज़ी भाषा का प्रयोग क्षेत्र हिन्दी की अपेक्षा अधिक है किन्तु मातृभाषियों की संख्या अँगरेज़ी भाषियों से अधिक है। इसकी कुछ बोलियाँ, मैथिली  और राजस्थानी अलग भाषा होने का दावा करती हैं। हिंदी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मागधी और मारवाड़ी भाषा शामिल हैं!    🎙 आधुनिक हिंदी हिंदी के आधुनिक काल तक आते–आते ब्रजभाषा जनभाषा से काफ़ी दूर हट चुकी थी और अवधी ने तो बहुत पहले से ही साहित्य से मुँह मोड़ लिया था। 19वीं सदी के मध्य तक अंग्रेज़ी सत्ता का महत्तम विस्तार भारत में हो चुका था। इस राजनीतिक परिवर्तन का प्रभाव मध्य देश की भाषा हिंदी पर भी पड़ा। नवीन राजनीतिक परिस्थितियों ने खड़ी बोली को प्रोत्साहन प्रदान किया। जब ब्रजभाषा और अवधी का साहित्यिक रूप जनभाषा से दूर हो गया तब उनका स्थान खड़ी बोली धीरे–धीरे लेने लगी। अंग्रेज़ी सरकार ने भी इसका प्रयोग आरम्भ कर दिया।  हिंदी के आधुनिक काल में प्रारम्भ में एक ओर उर्दू का प्रचार होने और दूसरी ओर काव्य की भाषा ब्रजभाषा होने के कारण खड़ी बोली को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ा। 19वीं सदी तक कविता की भाषा ब्रजभाषा और गद्य की भाषा खड़ी बोली रही। 20वीं सदी के आते–आते खड़ी बोली गद्य–पद्य दोनों की ही साहित्यिक भाषा बन गई।  इस युग में खड़ी बोली को प्रतिष्ठित करने में विभिन्न धार्मिक सामाजिक एवं राजनीतिक आंदोलनों ने बड़ी सहायता की। फलतः खड़ी बोली साहित्य की सर्वप्रमुख भाषा बन गयी।  ★•┈┈••✦✿✦•♥️•✦✿✦••┈┈•★    Hindi language:- Hindi is the official and central Indo-Aryan language of the Republic of India. According to the 2001 Census, about 25.79 million Indians use Hindi as their mother tongue, while about 42.20 million people use one of its more than 50 dialects. Prior to 1998, in terms of the number of mother tongues, Hindi was given the third place in the statistics of the most spoken languages ​​in the world. On the basis of the UNESCO questionnaire sent by UNESCO in 1998 for the publication of the book on the analysis of Indian languages ​​of the Census of India in 1997 and for preparing the report of the languages ​​of the world, Professor Mahavir Saran, the then Director of the Central Hindi Sansthan, Government of India. After the detailed report sent by Jain, it is now accepted globally that Hindi is the second largest language in the world after Chinese in terms of number of mother tongues. The number of speakers of Chinese language is more than Hindi language, but the area of ​​use of Chinese language is limited as compared to Hindi. The area of ​​use of English language is more than that of Hindi but the number of mother tongues is more than English speakers. Some of its dialects, Maithili and Rajasthani claim to be separate languages. The major dialects of Hindi include Awadhi, Bhojpuri, Brajbhasha, Chhattisgarhi, Garhwali, Haryanvi, Kumaoni, Magadhi and Marwari.    Modern Hindi By the time of the modern period of Hindi, Brajbhasha had moved far away from the public language and Awadhi had turned its back on literature long ago. By the middle of the 19th century, the greatest expansion of British power had taken place in India. The effect of this political change was also on Hindi, the language of the middle country. The new political situation gave impetus to Khari Boli. When the literary form of Brajbhasha and Awadhi got away from the common language, their place was gradually replaced by Khari Boli. The British government also started using it.  In the modern period of Hindi, due to the promotion of Urdu on the one hand and Brajbhasha on the other hand, Khari Boli had to struggle for its existence. Till the 19th century, the language of poetry remained Brajbhasha and the language of prose was Khari Boli. By the turn of the 20th century, Khari Boli became the literary language of both prose and verse.  Various religious, social and political movements helped a lot in establishing Khari Boli in this era. As a result, Khari Boli became the dominant language of literature.


Hindi language:-

Hindi is the official and central Indo-Aryan language of the Republic of India. According to the 2001 Census, about 25.79 million Indians use Hindi as their mother tongue, while about 42.20 million people use one of its more than 50 dialects. Prior to 1998, in terms of the number of mother tongues, Hindi was given the third place in the statistics of the most spoken languages ​​in the world. On the basis of the UNESCO questionnaire sent by UNESCO in 1998 for the publication of the book on the analysis of Indian languages ​​of the Census of India in 1997 and for preparing the report of the languages ​​of the world, Professor Mahavir Saran, the then Director of the Central Hindi Sansthan, Government of India. After the detailed report sent by Jain, it is now accepted globally that Hindi is the second largest language in the world after Chinese in terms of number of mother tongues. The number of speakers of Chinese language is more than Hindi language, but the area of ​​use of Chinese language is limited as compared to Hindi. The area of ​​use of English language is more than that of Hindi but the number of mother tongues is more than English speakers. Some of its dialects, Maithili and Rajasthani claim to be separate languages. The major dialects of Hindi include Awadhi, Bhojpuri, Brajbhasha, Chhattisgarhi, Garhwali, Haryanvi, Kumaoni, Magadhi and Marwari.


Modern Hindi

By the time of the modern period of Hindi, Brajbhasha had moved far away from the public language and Awadhi had turned its back on literature long ago. By the middle of the 19th century, the greatest expansion of British power had taken place in India. The effect of this political change was also on Hindi, the language of the middle country. The new political situation gave impetus to Khari Boli. When the literary form of Brajbhasha and Awadhi got away from the common language, their place was gradually replaced by Khari Boli. The British government also started using it.

In the modern period of Hindi, due to the promotion of Urdu on the one hand and Brajbhasha on the other hand, Khari Boli had to struggle for its existence. Till the 19th century, the language of poetry remained Brajbhasha and the language of prose was Khari Boli. By the turn of the 20th century, Khari Boli became the literary language of both prose and verse.

Various religious, social and political movements helped a lot in establishing Khari Boli in this era. As a result, Khari Boli became the dominant language of literature.



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