वस्तुनिष्ठ प्रश्न
UGC NET PART हिंदी भाषा एवं साहित्य से जुड़े तथ्य
Q. अपभ्रंश का वाल्मीकि किसे कहते हैं?
(A) पुष्पदंत को
(B) धनपाल को
(C) शालिभद्र सूरि को
(D) स्वंयभू को
Answer : स्वंयभू को
Explanation : अपभ्रंश का वाल्मीकि स्वंयभू को कहते हैं। स्वयंभू रचित 'पउमचरिउ' उच्चकोटि का अपभ्रंश भाषा का काव्य है। इस काव्य की 83 संधियों को स्वयंभू ने लिखा था, बाद में उसमें सात संधियों को उनके पुत्र त्रिभुवन ने जोड़ कर काव्य को पूरा किया। स्वयंभू ने अलंकार विधान को भी नूतन ढंग से किया है। ग्राम्य कहे जाने वाले उपेक्षित उपमानों को साहित्यिक बनाकर काव्य में अद्भुत जीवन्तता लाने में सफलता प्राप्त की है। स्वयंभू के अपभ्रंश साहित्य में उपमानों एवं प्रतीकों की प्रभावकता इतनी सशक्त थी कि हिंदी के सन्त कवियों तथा रीतिकालीन कवियों ने उनसे काफी प्रेरणा प्राप्त की है।
Q. रीति संप्रदाय से संबंधित काव्य शास्त्रीय ग्रंथ कौन सा है?
(A) काव्यालंकार सूत्र
(B) काव्यालंकार
(C) काव्यालंकार सूत्रवृत्ति
(D) काव्यादर्श
Answer : काव्यालंकार सूत्र
Explanation : रीति संप्रदाय से संबंधित काव्य शास्त्रीय ग्रंथ काव्यालंकार सूत्र है। रीति संप्रदाय-काव्यलंकार सूत्रकार आचार्य वामन रीति संप्रदायक प्रवर्तक हैं। उन्होंने रीति को काव्य की आत्मा स्वीकार किया है। 'रीतिरात्मा काव्यस्य' रीति क्या वस्तु है? वामन विशिष्ट पद रचना को रीति बताते हैं। रीति संप्रदाय को गुण संप्रदाय भी कहते हैं। वामन के पूर्व दंडी ने रीति का वर्णन किया है तथा दस गुणों को वैदर्भ मार्ग का प्राण बताया है-"इति वैदर्भ मार्गस्य प्राणादश गुण : स्मृतः।" वामन के पश्चात् कुंतक ने रीति का मार्ग की संज्ञा दी है और कवि प्रस्थान हेतु भी कहा है। आनंदवर्धन ने रीति को संघटना और राजशेखर ने वचन विन्यास क्रम की संज्ञा दी है। इस प्रकार रीति को काव्यशास्त्र का प्रमुख संप्रदाय माना जाता है।
Q. मौर्य विजय किसकी रचना है?
(A) मैथिलीशरण गुप्त
(B) सियाराम शरण गुप्त
(C) श्याम नारायण पांडेय
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer : सियाराम शरण गुप्त
Explanation : मौर्य विजय सियाराम शरण गुप्त की रचना है। ये राष्ट्रीय कविता के गायक मैथिली शरण गुप्त के छोटे भाई हैं। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-अनाथ, आर्द्रा, विषाद, पूर्वादल, पाथेय, मृण्मयी, बापू, उन्मुक्त, अकुल, नोआखाली में, जयहिन्द आत्मोत्सर्ग, दैनिकी, गोपिका, गोद और नारी, अंतिम आकांक्षा, मानुषी तथा पुण्यपर्व आदि। सियारामशरण गुप्त (Siyaram Sharan Gupt) का जन्म 4 सितंबर 1895 को हुआ था। गाँधीवाद से प्रभावित इन्हें एक कवि के रुप में विशेष ख्याति मिली। इनकी भाषा शैली सहज, सरल साहित्यिक खड़ीबोली हिंदी थी। इन्होंने व्यावहारिक शब्दावली का प्रयोग अपनी रचनाओं में किया है। लंबी बीमारी के चलते 29 मार्च 1963 को इनका निधन हो गया।
Q. सरसी छंद में कितनी मात्राएँ होती है?
(A) 27 मात्राएँ, 16, 11 पर यति, अंत में लघु-गुरु
(B) 28 मात्राएँ, 16, 12 पर यति, अंत में लघु-गुरु
(C) 28 मात्राएँ, 16, 12 पर यति, अंत में गुरु-लघु
(D) 27 मात्राएँ, 16, 11 पर यति, अंत में गुरु-लघु
Answer : 27 मात्राएँ, 16, 11 पर यति, अंत में गुरु-लघु
Explanation : सरसी छंद के प्रत्येक चरण में 27 मात्राएँ होती हैं। 16 और 11 पर यति होती है और अंत में गुरू-लघु होता है। पहली 16 मात्राओं की लय चौपाई की तरह तथा शेष 11 मात्राओं की लय दोहे के दूसरे चरण की तरह ही होती है। उदाहरण–
अंशुमालि के शुभागमन की बेला समझ समीप। नभी में बुझा चुके थे सुर भी अपने घर के दीप।।
Q. वैशाली की नगरवधू के लेखक कौन है?
(A) वृंदावन लाल वर्मा
(B) आचार्य चतुरसेन शास्त्री
(C) इलाचंद्र जोशी
(D) यशपाल
Answer : आचार्य चतुरसेन शास्त्री (Acharya Chatursen Shastri)
Explanation : वैशाली की नगरवधू उपन्यास के लेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री है। इनके अन्य प्रमुख उपन्यास हैं-वयं रक्षामः, सोमनाथ, आलमगीर, सोना और खून, रक्त की प्यास, आत्मदाह, अमर अभिलाषा, मन्दिर की नर्तकी, अपराजिता आदि। हालांकि उनके उपन्यासों में जो शोहरत 'वैशाली की नगरवधू', 'वयं रक्षामः' और 'सोमनाथ' को मिली, वह अन्य को हासिल नहीं है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म 26 अगस्त, 1891 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के चंदोख में हुआ था। उन्होंने 32 उपन्यास लिखे। इनके अलावा लगभग साढ़े चार सौ कहानियां लिखीं। उनके जीवनकाल में ही उनकी प्रकाशित रचनाओं की संख्या 186 हो चुकी थी जो अपने आपमें एक कीर्तिमान था। 2 फरवरी, 1960 को जब उनका देहांत हुआ।
Objective type questions
Facts related to UGC NET Part Hindi Language and Literature
Q. Who is the Valmiki of Apabhramsa?
(A) Pushpadanta
(B) Dhanpal
(C) Shalibhadra Suri
(D) Swayambhu
Answer: Swayambhu
Explanation: Valmiki of Apabhramsa is called Swayambhu. The self-composed 'Paumchariu' is the poetry of Apabhramsa language of high order. Swayambhu wrote 83 treaties of this poetry, later his son Tribhuvan completed the poetry by adding seven treaties to it. Swayambhu has also done the Alankar Vidhi in a novel way. By making literary the neglected analogies called rural, have achieved success in bringing wonderful vitality to poetry. The effectiveness of similes and symbols in Swayambhu's Apabhramsa literature was so strong that Hindi saint poets and ritual poets have drawn a lot of inspiration from him.
Q. Which is the poetry classical text related to the Riti sect?
(A) Poetry Sutra
(B) Poetry
(C) Poetry
(D) Kavyadarsh
Answer: Kavyalankar Sutra
Explanation: The classical text related to the ritual sect is the Kavyalankar Sutra. Acharya Vamana is the originator of the ritual cult-poetry sectarian. He has accepted ritual as the soul of poetry. What is the ritual of 'Ritiratma Kavyasya'? Vamana tells the rituals of specific verse composition. The ritual sect is also called the guna sect. Before Vamana, Dandi has described the ritual and described the ten gunas as the vitality of the Vaidarbha path - "Iti Vaidarbha Margasya Pranadash Guna: Smrutah." After Vamana, Kuntak has given the name of the path of ritual and the poet has also asked for departure. Anandavardhana has called the ritual as the organization and Rajasekhar has given the word configuration sequence. Thus Riti is considered to be the main sect of Poetry.
Q. Whose creation is Maurya Vijay?
(A) Maithilisharan Gupta
(B) Siyaram Sharan Gupta
(C) Shyam Narayan Pandey
(D) none of these
Answer: Siyaram Sharan Gupta
Explanation: Maurya Vijay is the creation of Siyaram Sharan Gupta. He is the younger brother of national poetry singer Maithili Sharan Gupt. His main works are- Orphan, Ardra, Nostalgia, Poorvadal, Pathey, Mrinmayi, Bapu, Unmukt, Akul, Noakhali, Jaihind self-sacrifice, Dainik, Gopika, Lap and Nari, Last Akanksha, Manushi and Punyaparv etc. Siyaram Sharan Gupt was born on 4 September 1895. Influenced by Gandhism, he got special fame as a poet. His language style was simple, simple literary Khariboli Hindi. He has used practical terminology in his works. He died on 29 March 1963 due to prolonged illness.
Q. How many quantities are there in Sarsi Chhand?
(A) Yeti on 27 quantities, 16, 11, finally Laghu-Guru
(B) Yeti on 28 quantities, 16, 12, finally Laghu-Guru
(C) 28 quantities, yeti on 16, 12, finally Guru-Laghu
(D) 27 quantities, yeti on 16, 11, finally Guru-Laghu
Answer: 27 quantities, yeti on 16, 11, in the end Guru-Laghu
Explanation: There are 27 quantities in each stanza of Sarsi Chhand. Yeti occurs on 16 and 11 and in the end there is Guru-Laghu. The rhythm of the first 16 quantities is like that of a chaupai and the rhythm of the remaining 11 quantities is like that of the second step of the couplet. Example-
Anshumali's understanding of good luck is near. Even the lamp of his house had been extinguished in Nabhi.
Q. Who is the author of Vaishali Ki Nagarvadhu?
(A) Vrindavan Lal Verma
(B) Acharya Chatursen Shastri
(C) Ilachandra Joshi
(D) Yashpal
Answer: Acharya Chatursen Shastri
Explanation: The author of the novel Vaishali's Nagarvadhu is Acharya Chatursen Shastri. His other major novels are Vayam Raksham, Somnath, Alamgir, Sona and Khoon, Thirst for Blood, Self-immolation, Immortal Abhilasha, Temple Dancer, Aparajita etc. However, the fame which got 'Vaishali Ki Nagarvadhu', 'Vayam Raksham' and 'Somnath' in his novels, is not achieved by others. Acharya Chatursen Shastri was born on 26 August 1891 in Chandokh, Bulandshahr district of Uttar Pradesh. He wrote 32 novels. Apart from these, wrote about four and a half hundred stories. During his lifetime, the number of his published works had reached 186, which was a record in itself. When he died on February 2, 1960.