🔆ऑपरेशन फ्लड (श्वेत क्रांति)
▪️श्वेत क्रांति के बारे में:
✅भारत में श्वेत क्रांति डॉ वर्गीज़ कुरियन (Dr Verghese Kurein) के दिमाग की उपज थी। उनके अधीन गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) जैसे कई महत्त्वपूर्ण संस्थान स्थापित किये गए थे।
✅श्वेत क्रांति NDDB द्वारा 1970 के दशक में शुरू की गई थी और ऑपरेशन फ्लड की आधारशिला ग्राम दुग्ध उत्पादकों की सहकारी समितियाँ हैं।
▪️क्रांति के चरण:
✅चरण I: यह वर्ष 1970 से शुरू हुआ और 10 वर्ष यानी वर्ष 1980 तक चला। इस चरण को विश्व खाद्य कार्यक्रम के माध्यम से यूरोपीय संघ द्वारा दान किये गए बटर ऑयल और स्किम्ड मिल्क पाउडर की बिक्री से वित्तपोषित किया गया था।
✅चरण II: यह वर्ष 1981 से वर्ष 1985 तक पाँच वर्ष चला। इस चरण के दौरान दूध केंद्रों की संख्या 18 से बढ़कर 136 हो गई, दूध 290 नगरों के बाज़ारों में उपलब्ध होने लगा, वर्ष 1985 के अंत तक 43,000 आत्मनिर्भर ग्राम दुग्ध सहकारी समितियों की व्यवस्था की जा चुकी थी, जिसमें 42.50 लाख दूध उत्पादक शामिल थे।
✅चरण III: यह भी लगभग 10 वर्ष यानी वर्ष 1985-1996 तक चला। इस चरण ने डेयरी सहकारी समितियों को विस्तार करने में सक्षम बनाया और कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया। इसने दूध की बढ़ती मात्रा की खरीद और बाज़ार के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचे को भी मज़बूत किया।
▪️उद्देश्य:
✅दूध उत्पादन में वृद्धि।
✅ग्रामीण क्षेत्र की आय में वृद्धि।
✅उपभोक्ताओं को उचित दाम पर दूध उपलब्ध कराना
▪️महत्त्व:
✅इसने डेयरी किसानों को अपने स्वयं के हाथों बनाए गए संसाधनों पर नियंत्रण रखने के लिये अपने स्वयं के विकास को निर्देशित करने में मदद की।
✅इसने वर्ष 2016-17 में भारत को विश्व में सबसे बड़ा दूध का उत्पादक बनने में मदद की है।
✅वर्तमान में भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है, जिसका वैश्विक उत्पादन 22% है।
🔆Operation Flood (White Revolution)
▪️ About White Revolution:
✅ White Revolution in India was the brainchild of Dr. Verghese Kurein. Many important institutions like the Gujarat Cooperative Milk Marketing Federation Limited and the National Dairy Development Board (NDDB) were established under him.
✅White Revolution was launched by NDDB in the 1970s and the cornerstone of Operation Flood is the Village Milk Producers' Cooperative Societies.
▪️ Phases of Revolution:
✅ Phase I: It started from the year 1970 and lasted for 10 years i.e. till the year 1980. This phase was financed by the sale of butter oil and skimmed milk powder donated by the European Union through the World Food Programme.
Phase II: It lasted for five years from the year 1981 to the year 1985. During this phase, the number of milk centers increased from 18 to 136, milk became available in the markets of 290 towns, by the end of 1985, 43,000 self-sufficient village milk cooperatives had been organized, involving 42.50 lakh milk producers. .
✅ Phase III: This also lasted for about 10 years i.e. 1985-1996. This phase enabled the dairy cooperatives to expand and finalized the programme. It also strengthened the necessary infrastructure for procurement and marketing of increasing quantities of milk.
▪️ Objective:
Increase in milk production.
Increase in the income of rural area.
Providing milk to the consumers at a reasonable price
▪️ Importance:
✅It helped dairy farmers to direct their own development to have control over the resources created by their own hands.
✅It has helped India to become the largest producer of milk in the world in the year 2016-17.
Presently India is the largest milk producer in the world, accounting for 22% of global production.