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अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
दुनिया मे पहली बार ऐसा समय देख रहे है जब इंसान ने जीने के लिए पैसा कमाना छोड़ दिया है.. इस कड़े इम्तेहान के दौर में, इतना करम करना.  किसी ग़रीब का चूल्हा ना, बुझने पाऐ इसका ख्याल रखना. फूलदार पेड़ और गुणवान व्यक्ति ही झुकते हैं, सुखा पेड़ और मुर्ख व्यक्ति कभी नहीं झुकते, खाना खिलाने वालों, बांटने वालों और घर घर खाना पहुंचाने वालों खुदा तुम्हें इतनी दौलत दे कि तुम्हारा खजाना कभी खत्म ना हो थकना भी लाज़मी था कुछ काम करते करते और थक गया हूँ आराम करते करते ख़ुशी के माहौल में मौत का फ़रमान आ रहा है जो कहते थे गाँव मे क्या रखा है आज उन्हें भी गाँव याद आ रहा है..! यूं पुरखों की जमीन बेचकर गांव से ना जाया करो.. कब छोड़ना पड़े शहर, गांव में भी एक घर बनाया करो..! बात ये है कि बात कोई नही मैं अकेला हूँ साथ कोई नहीं 🌼🌼🌼सुप्रभात🌻🌻🌻
*सूचना देने वाले को 40 हजार का ईनाम* राम गोपाल सिंह  एक सेवानिवृत अध्यापक हैं । सुबह  दस बजे तक ये एकदम स्वस्थ प्रतीत हो  रहे थे । शाम के सात बजते-बजते तेज बुखार के साथ-साथ वे सारे लक्षण दिखायी देने लगे जो एक कोरोना पॉजीटिव मरीज के अंदर दिखाई देते हैं। परिवार के सदस्यों के चेहरों पर खौफ़ साफ़ दिखाई पड़ रहा था । उनकी चारपाई घर के एक पुराने बड़े से बाहरी कमरे में डाल दी गयी जिसमें इनके पालतू कुत्ते "मार्शल" का बसेरा है । राम गोपाल जी कुछ साल पहले एक छोटा सा घायल पिल्ला सड़क से उठाकर लाये थे और अपने बच्चे की तरह पालकर इसको नाम दिया मार्शल। इस कमरे में अब राम गोपाल जी , उनकी चारपाई और उनका प्यारा मार्शल हैं ।दोनों बेटों -बहुओं ने दूरी बना ली और बच्चों को भी पास ना जानें के निर्देश दे दिए गये सरकार द्वारा जारी किये गये नंबर पर फोन करके सूचना दे दी गयी । खबर मुहल्ले भर में फैल चुकी थी लेकिन मिलने कोई नहीं आया । साड़ी के पल्ले से मुँह लपेटे हुए,  हाथ में छड़ी लिये पड़ोस की कोई एक बूढी अम्मा आई और राम गोपाल जी की पत्नी से बोली -"अरे कोई इसके पास दूर से खाना भी सरका दो , वे अ...

Positive soch

एक बादशाह सर्दियों की शाम जब अपने महल में दाखिल हो रहा था तो एक बूढ़े दरबान को देखा जो महल के सदर दरवाज़े पर पुरानी और बारीक वर्दी में पहरा दे रहा था। बादशाह ने उसके करीब अपनी सवारी को रुकवाया और उस बूढ़े दरबान से पूछने लगा ; "सर्दी नही लग रही ?" दरबान ने जवाब दिया "बोहत लग रही है हुज़ूर ! मगर क्या करूँ, गर्म वर्दी है नही मेरे पास, इसलिए बर्दाश्त करना पड़ता है।" "मैं अभी महल के अंदर जाकर अपना ही कोई गर्म जोड़ा भेजता हूँ तुम्हे।" दरबान ने खुश होकर बादशाह को फर्शी सलाम किया और आजिज़ी का इज़हार किया। लेकिन बादशाह जैसे ही महल में दाखिल हुआ, दरबान के साथ किया हुआ वादा भूल गया। सुबह दरवाज़े पर उस बूढ़े दरबान की अकड़ी हुई लाश मिली और करीब ही मिट्टी पर उसकी उंगलियों से लिखी गई ये तहरीर भी ; "बादशाह सलामत ! मैं कई सालों से सर्दियों में इसी नाज़ुक वर्दी में दरबानी कर रहा था, मगर कल रात आप के गर्म लिबास के वादे ने मेरी जान निकाल दी।" सहारे इंसान को खोखला कर देते है और उम्मीदें कमज़ोर कर देती है।  अपनी ताकत के बल पर जीना शुरू कीजिए,  खुद की सहन शक्...

कपूर साहब का गीत आज के हालात पर

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इंदौरी चिंटू

🤓😃 *चिंटू इंदौरी* 😁😅 😷नी रीवाता भिया, इंदौरी ओन से सकने नी रिवाता... देख लिया अपन ने... 👏अगले ने ताली ठोकने का बोला, अपन सीना ठोक आये राजबाडे पे... 🕯अगले ने सिरिप "दिया" चेताने का बोला, अपन ने दिवाली के बचे हुए फटाके सलटा दिये... 🤪भिया, कल आलम तो ये था गली मे, सामने वाले कमलेस  भिया नये कपड़े पेन के, सेंट की जगो...लपक् सेनिटाईजर छिड़क के,अपनी मिसेज से सूतली बम  फुड़वाने के बाद, बकायदा, मेरे याँ बई - बाउजी के पेर पड़ के गए ... बताओ... 🤔दिवाली मतलब पूरी दिवाली, अपन इंदौरी ओन से आदा अदुरा काम नी होता??? ☹️मेरको तो ये डर लग रिया भिया, अगली चक्कर मोदी जी युं नी के दे...इंदौर वालों तुम रेन दो...काँ परेसान होओगे... अगला टास्क सिरिप बचे हुए भारत के लिए है... 🧐भविस्य की चिंता होने लग गई मेको तो... कैसे कैसे सपने आ रिये कल से, मोदी जी खजवा के ,इंदौर को अलग देस घोसित नी करदे... मेरे मगज मे तो नाम भी फिलेस हो रीया----  "ऐबला देस" ! 🤓😃 *चिंटू इंदौरी* 😁😅😆 केने का मेतलब ये पड़ रिया है,कि भोत हो गयी ठीलवई... इंदौर का नाम जगो जगो बदनाम होने मत दो...

आज का दौर

गुलजार साहब की यह कविता आज बहुत याद आ रही है... *"बे वजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है"* *"मौत से आँखे मिलाने की ज़रूरत क्या है"* *"सब को मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल"* *"यूँही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है"* *"ज़िन्दगी एक नेमत है उसे सम्भाल के रखो"* *"क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है"* *"दिल बहलाने के लिये घर में वजह हैं काफ़ी"* *"यूँही गलियों में भटकने की ज़रूरत क्या है"*